श्री हनुमान बाहुक तेरहवां श्लोक हिंदी रूपांतरित

श्री हनुमान बाहुक हिंदी रूपांतरित

सानुग  सगौरि   सानुकूल  सूलपानि  ताहि, 
लोकपाल  सकल लखन     राम  जानकी।
लोक परलोक ते बिसोक सो तिलोक ताहि,
तुलसी   तमाइ  कहा काहू   बीर आनकी।।
केसरी किसोर   बंदीछोरको   नेवाजे सब ,
कीरति   बिमल    कपि  करुणानिधि की ।
बालकज्यों पालिहैं कृपालु मुनि सिद्ध ताको,
जाके  हिये  हुलसित  हांक    हनुमान की।।


अर्थात

जिसके हृदय में श्री हनुमानजी की टेर बसी हो ,उस पर सभी सेवको सहित शंकर एवं पार्वती प्रसन्न रहते है ।
इसी प्रकार सभी लोकपाल और लक्ष्मण सहित सीताराम कृपालु बने रहते है श्री तुलसीदास जी कहते है कि ऐसे व्यक्ति को लोक परलोक कही भी शोक व्याप्त नही होता । ऐसे सेवक को किसी अन्य वीर की मदद लेने की क्या आवश्यकता होगी क्योंकि उसे तो कृपालु केशरी नंदन की निर्मल कीर्ति के कारण मुनिगण, सिद्ध पुरूष, बालक समझ कर पालते रहते है ।
            जय जय श्री राम
कट्टर हिन्दू
गरुण पुराण

Comments

Popular posts from this blog

श्री हनुमान बाहुक हिंदी रूपांतरण दसवां श्लोक

श्री हनुमान बाहुक हिंदी रूपांतरण आठवा श्लोक

श्री हनुमान बाहुक ग्यारहवाँ श्लोक हिंदी रूपांतरित