श्री हनुमान बाहुक चौदहवाँ श्लोक हिंदी रुपान्तरित
श्री हनुमान बाहुक श्लोक हिंदी रूपांतरित करुना निधान , बलबुद्धि के निधान , मोद महिमानिधान , गन - ज्ञान के निधन हौ। बामदेव - रूप , भूप राम के सनेही , नाम , लेत - देत अर्थ - धर्म काम निरबान हौ ।। आपने प्रभाव, सीतानाथ के सुभाव सील, लोक - बेद - बिधि के बिदुष हनुमान हौ , मन कि, वचन की , करम की तिहुँ प्रकार, । तुलसी तिहारो तुम साहेब सुजान हौ।। अर्थात श्री हनुमान जिनाप करुणा के भंडार , बल-बुद्धि के धाम,आनंद और अमोद - प्रमोद के भंडार , गन और बुद्धि के निधि है । आप शिव के अंश , राम के कृपापात्र है । आपके नाम जप से अर्थ , धर्म, काम और मोक्ष मिलता है । श्री सीतानाथ के स्वभाव एवं शील के परिणाम स्वरूप श्री हनुमानजी आप लौकिक नीति -रीति के साथ बैदिक बिधान के भी विज्ञ ज्ञाता हैं। ऐसे सुविज्ञ हनुमान जी का तुलसीदास जी मन, वचन, कर्म से सेवक है ।।