श्री हनुमान बाहुक नवम श्लोक हिंदी रूपांतरित


दवन-दुव
न-दल  भुवन-विदित  बल,
बेद जस गावत बिबुध बंदीछोर को।
पाप-ताप-तिमिर  तुहिन-विघटन-पटु,
सेवक-सरोरुह  सुखद  भानु  भोरको।।
लोक-परलोकतें बिसोक सपने न सोक,
तुलसी के हिये है भरोसो एक ओरको।
रामको दुलारो दास बामदेवको निवास,
नाम कलि-कामतरु केसरी -किसोरको।।

अर्थात


दानवो के दल का दमन करने वाले श्री हनुमानजी के बल को सारा संसार जनता है । बेद (शास्त्र) बताते है कि देवताओ तक को बंधन मुक्त कराने वाला,पाप रूपी अंधकार और कष्ट रूपी पाले को घटाने वाला भक्त रूपी कमलो को प्रातः काल का सूर्य बन खिलाने वाला श्री हनुमानजी जैसा दूसरा कौन है? गोस्वामी तुलसीदास जी को उन्ही का भरोसा है । लोम परलोक के सुख-दुख की चिंता । श्री राम के सबसे प्रिय सेवक ,शिव को अपने ह्रदय में बसाने वाले केसरी नंदन का नाम कलिकाल में कल्प वृक्ष के समान है 

             जय श्री राम

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