श्री हनुमान बाहुक सातवा श्लोक हिंदी में
हनुमान बाहुक पूर्व सभी श्लोक हिंदी रूपांतरण
भगवान श्री राम का जीवन परिचय संक्षेप में
कमठकी पीठी जाके गोड़निकी गांडै मानो,
नापके भाजन भरि जालनिधि - जल भो।
जातुधान - दावन परावनको दुर्ग। भयो,
महामीनबास तिमि तोमनिको थल भो।
कुम्भकर्ण - रावण - पयोदनाद - ईधनको,
तुलसी प्रताप जाको प्रबल अनल भो।
भीषम कहत मेरे अनुमान हनुमान
सरिखो त्रिकाल न त्रिलोक महाबल भो।।
अर्थात
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श्री हनुमान जी ने पैर जमाकर कच्छप की पीठ
पर गड्ढा बना दिया (असंभव को संभव कर दिया )
यह गड्ढा मानो समुद्र का जल नापने का पात्र हो यही
गड्ढा राक्षसों और दानवों के पराभव के लिए दुर्ग ,
बड़े - बड़े मक्षो के रहने हित अंधेरा स्थल बन गया
कुम्भकर्ण, रावण और मेघनाद रूपी ईंधन को जलाने
के लिए श्री हनुमान जी का प्रताप अग्नि बना ।।
श्री भीष्म पितामह कहते है उनकी दृष्टि में हनुमानजी
जैसा बलशाली,तीनो लोको और तीनों कालो में कोई
नही हुआ ।।
जय जय श्री राम
भगवान श्री राम का जीवन परिचय संक्षेप में
कमठकी पीठी जाके गोड़निकी गांडै मानो,
नापके भाजन भरि जालनिधि - जल भो।
जातुधान - दावन परावनको दुर्ग। भयो,
महामीनबास तिमि तोमनिको थल भो।
कुम्भकर्ण - रावण - पयोदनाद - ईधनको,
तुलसी प्रताप जाको प्रबल अनल भो।
भीषम कहत मेरे अनुमान हनुमान
सरिखो त्रिकाल न त्रिलोक महाबल भो।।
अर्थात
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श्री हनुमान जी ने पैर जमाकर कच्छप की पीठ
पर गड्ढा बना दिया (असंभव को संभव कर दिया )
यह गड्ढा मानो समुद्र का जल नापने का पात्र हो यही
गड्ढा राक्षसों और दानवों के पराभव के लिए दुर्ग ,
बड़े - बड़े मक्षो के रहने हित अंधेरा स्थल बन गया
कुम्भकर्ण, रावण और मेघनाद रूपी ईंधन को जलाने
के लिए श्री हनुमान जी का प्रताप अग्नि बना ।।
श्री भीष्म पितामह कहते है उनकी दृष्टि में हनुमानजी
जैसा बलशाली,तीनो लोको और तीनों कालो में कोई
नही हुआ ।।
जय जय श्री राम
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