श्री हनुमान बाहुक हिंदी रूपांतरण आठवा श्लोक


हनुमान बाहुक हिंदी रूपरन्तरित


दूत रामरायको , सपूत पूत पौनको,
तू अंजनीको नंदन प्रताप भूरि भानु सो।
सीय-सोच-समन,     दुरित-दोष-दमन
सरन आये अवन, लखन प्रिय प्रान सो।।
दसमुख दुसह दरिद्र दरिबेको भयो,
प्रकट तिलोक ओक तुलसी निधान सो।
ज्ञान -गुणवान बलवान सेवा सावधान,
साहेब सुजान उर आनु हनुमान सो।।
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अर्थात

हे हनुमान आप श्री राम चन्द्र जी के दूत ,पवनदेव के पुत्र और अंजनी के नंदन है आपका प्रताप अनंत सूर्य जैसा तेजस्वी है ।
यह सीता जी की चिंता को मिटाने वाला सेवको के दोषों को तत्काल समाप्त ,शरणागत का रक्षक और लक्ष्मण जी के लिए प्राणों से प्रिय है ।।
यही प्रताप असहाय दरिद्रता रूपी रावण को दबाने वाला और तीनों लोकों में तुलसी का आश्रय है ।

घोर कलयुग क्या इसे ही कहते है

यह ज्ञानवान, गुणवान, बलवान, परहित हेतु सावधान रहते हुए , सबकी सुधि रखने वाले स्वामी के समान है 

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