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Showing posts from 2018

श्री हनुमान बाहुक सत्तारहवाँ श्लोक हिंदी रूपांतरित

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प्राणदायी हनुमान बाहुक हिंदी में श्री हनुमान चालीसा तेरे थपे उथपै न महेस,     थपै थिरको कपि जे घर घाले। तेरे निवाजे गरीबनिवाज,     बिराजत बैरिनके उर साले।। संकट सोच सबै तुलसी लिए,     नाम फटै मकरीके - से जले । बूढ़ भये ,बलि , मेरिहि बार,     कि हारि परे बहुतै नत पाले।। अर्थात हे हनुमानजी ! जिसे आप बसा दे, उसे शंकर भी नही उजाड़ते है । हाँ जिस घर को आप नष्ट करें उसे कौन बसा सकता है ? हे दीन रक्षक ! जिस पर आप प्रसन्न हो , वे शत्रुओं के हृदय में पीड़ा बन बिराजते है । तुलसीदास जी कहते है , आपका नाम लेने से सभी संकट मकड़ी के जाले के समान हट जाते है ।है बल निधान हनुमान जी ! मेरी ही बार आप बूढ़े हो गए अथवा बहुत - से गरीबों का पालन करते करते थक गए ? मेरा भी संकट दूर करें  श्री बालाजी महाराज की आरती                

श्री हनुमान बाहुक सोलहवाँ श्लोक

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श्री हनुमान बाहुक हिंदी रूपांतरित गरुण पुराण लोकप्रिय हिन्दू तथ्य श्री हनुमान चालीसा जानसिरोमनी   हौ     हनुमान        सदा, जनके मन बास तिहारो। ढारो बिगारो मैं काको कहा ,     केहि कारन खीझत हौं तो तिहारो।। साहेब सेवक नाते ते हातो,      कियो सो तहाँ तुलसी को ना चारो। दोष सुनाये तें अगेहुँ  को , होशियार ह्वै हों मन तौ हिय हारो  अर्थात

श्री हनुमान बाहुक पंद्रहवाँ श्लोक

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श्री हनुमान बाहुक चौदहवाँ श्लोक हिंदी में जीवन प्रदाता हनुमान बाहुक पढे हिंदी में  श्री हनुमान चालीसा मन को अगम , तन सुगम किये कपीस, काज महराज के समाज साज साजे है । देव -बंदीछोर    रनरोर  केसरी  किसोर, जुग - जुग जग  तेरे   बिरद  बिराजे हैं।। बीर बरजोर , घटि जोर तुलसी की ओर, सुनि सकुचाने साधु , खलगन गाजे हैं। बिगरी संवार अंजनीकुमार कीजै मोहिं, जैसे होत आये हनुमान के निवाज़े  हैं।। सो सॉरी राजीनीतिक कॉमेडी अर्थात गठबंधन एक्सप्रेस श्री हनुमानजी आपने महराज श्री राम चन्द्र के काम के लिए अपने मन को विशाल और तन को सुलभ किया और उसके लिए सज गए । केसरी नंदन ने देवताओं को बंधन मुक्त कराने के हेतु रण गर्जना की । युगों - युगों से यशोगान होता आया है उन अत्यंत शक्तिशाली वीर का लगता है तुलसी की ओर कम ध्यान है । यह जान कर साधुगण सकुचा गए और दुष्ट गर्जना कर रहे है ।  है अंजनी कुमार तुलसी की बिगड़ी बात उसी तरह स्वंरिये जैसे उनकी संवरती है जिन पर आपकी विशेष कृपा होती है । श्री हनुमान बाहुक चौदहवाँ श्लोक हिंदी में

श्री हनुमान बाहुक चौदहवाँ श्लोक हिंदी रुपान्तरित

श्री हनुमान बाहुक श्लोक हिंदी रूपांतरित करुना निधान , बलबुद्धि के निधान , मोद महिमानिधान , गन - ज्ञान के निधन हौ। बामदेव - रूप , भूप राम के सनेही , नाम , लेत  - देत अर्थ - धर्म काम निरबान हौ ।। आपने प्रभाव, सीतानाथ के सुभाव सील,  लोक - बेद - बिधि के बिदुष   हनुमान हौ ,  मन कि, वचन की , करम की तिहुँ प्रकार, । तुलसी  तिहारो तुम साहेब सुजान  हौ।। अर्थात श्री हनुमान जिनाप करुणा के भंडार , बल-बुद्धि के धाम,आनंद और अमोद - प्रमोद के भंडार , गन और बुद्धि के निधि है । आप शिव के अंश , राम के कृपापात्र है । आपके नाम जप से अर्थ , धर्म, काम और मोक्ष मिलता है । श्री सीतानाथ के स्वभाव एवं शील के परिणाम स्वरूप श्री हनुमानजी आप लौकिक नीति -रीति के साथ बैदिक बिधान के भी विज्ञ ज्ञाता हैं। ऐसे सुविज्ञ हनुमान जी का  तुलसीदास जी  मन, वचन, कर्म से सेवक है ।।

श्री हनुमान बाहुक तेरहवां श्लोक हिंदी रूपांतरित

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श्री हनुमान बाहुक हिंदी रूपांतरित सानुग  सगौरि   सानुकूल  सूलपानि  ताहि,  लोकपाल  सकल लखन     राम  जानकी। लोक परलोक ते बिसोक सो तिलोक ताहि, तुलसी   तमाइ  कहा काहू   बीर आनकी।। केसरी किसोर   बंदीछोरको   नेवाजे सब , कीरति   बिमल    कपि  करुणानिधि की । बालकज्यों पालिहैं कृपालु मुनि सिद्ध ताको, जाके  हिये  हुलसित  हांक    हनुमान की।।

श्री हनुमान बाहुक बारहवाँ श्लोक हिंदी रूपांतरित

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श्री हनुमान बाहुक हिंदी रूपांतरण प्रत्येक श्लोक सेवक स्योकाई जानि जानकीस मानै कानि, सानुकूल सूलपानि नवै नाथ नाँकको । देवी देव दानव दयावने ह्वै जोरैं हाथ , बापुरे बराक कहा और राजा रांकको ।। जगत सोवत बैठे बागत बिनोद मोद, ताकै जो अनर्थ सो समर्थ एक आँकको सब दिन रुरो परै पुरो जहाँ - तहाँ ताहि ,  जाको है भरोसो हिये हनुमान हाँकको ।। भगवान श्री कृष्णा का प्यार देख कर खुद को रोने से रोक नही पाओगे आप अर्थात जिनकी सेवा का महत्व जानकीनाथ श्री राम ने अनुग्रह स्वीकारा और भगवान शंकर जिन पर सदा कृपालु रहते है , देवी देवता ही नही दानव भी दीन बने हाथ जोड़ते है ऐसे हनुमान जी के लिए बेचारा इन्द्र अथवा अन्य राजा क्या महत्व रखते है । ऐसे हनुमानजी के सेवक  सोते - जागते ,  उठते -बैठते , अमोद - प्रमोद करते , कोई कुछ कर सके ऐसा कभी भी नही हो सकता ।  जिसके ह्रदय में श्री हनुमानजी का भरोसा है , उसके लिए सब समय , जहाँ - कहीं भी कार्य सिद्धि निश्चित है               जय श्री राम  यह भी जाने बेस्ट व्हाट्सएप लेख कट्टर हिन्दू हनुमान चालीसा

श्री हनुमान बाहुक ग्यारहवाँ श्लोक हिंदी रूपांतरित

रचिबेको  बिधि जैसे , पालिबेको हरि, हर मीच मारिबेको , ज्याइबेको सुधापान भो। धरिबेको  धरनि , तरनि   तम    दलिबेको,  सोखिबे कृसानु ,पोषिबेको हिम-भानु भो।। खल-दुःख - दोषिबेको , जन परितोषिबेको, माँगिबो   मलीनताको   मोदक  सुदान भो। आरत  की  आरती  निवारिबेको  तिहुँ  पुर, तुलसी  को  साहेब  हठीले  हनुमान  भो ।। अर्थात   So sorry neta ji श्री हनुमान जी सृष्टिकर्ता ब्रह्मा , पालनकर्ता बिष्णु , संहारकर्ता  शिव के समतुल्य है ।  वे जीवन दान हेतु अमृत है ।  भर ढोने बके लिए भूमि ,अंधेरे के लिए सूर्य , सुखाने के लिए अग्निताप , पोषण के लिए चंद्रमा  और सूर्य हैं।  दुष्टो को दुःख दे दूषित करने वाले , स्वजनों को परितुष्ट करने वाले है ।। दीन मलीन भिखारी को मोदक देने वाले दानी है । हठीले हनुमान जी तीनो लोको के दुखियो के दुःख हारने वाले है  व्हाट्सएप्प लेख गुड़ नाइट वालपेपर गुड़ मोर्निंग वालपेपर

श्री हनुमान बाहुक हिंदी रूपांतरण दसवां श्लोक

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भरी हनुमान बाहुक हिंदी रूपांतरण महाबल-सीम,   महाभीम,    महाबानइत, महावीर   बिदित     बरायो    रघुवीर को। कुलिस - कठोरतनु   जोरपरै   रोर    रन, करुणा - कलित  मन  धार्मिक  धीरको।। दुर्जनको कालसो कराल पाल सज्जनको, सुमिरे   हरनहार   तुलसी    की    पीरको। सीय  -  सुखदायक   दुलारो   रघुनायको, सेवक   सहायक  है   साहसी  समीर को ।। अर्थात Political king kong परमवीरता   की अंतिम सीमा , अत्यंंत भीमरूप, महाबलवान, श्री रघुनाथ  जी  द्वारा चुने गये महावीर हैं  हनुमान जी वज्र जैसे कठोर शरीर वाले हनुमानजी , जिनका जोर पड़ने पर युद्ध स्थल में कोहराम मच जाता है करुणामय ,धैर्यवान और धर्माचरण करने वाले भी है । दुष्टों के लिए भयंकर काल के समान और सज्जनो के पालनहार  है ।  स्मरण करते ही तुलसी के समान भक्तो की पीड़ा को मिटाने वाले , सीताजी को सुख देने वाले तथा राम जी के दुलारे है सेवको की सहायता करने वाले , रघुनाथ जी के दुलारे है साहसी पवनपुत्र हनुमान जी ।। श्री हनुमान बाहुक हिंदी रूपांतरण

श्री हनुमान बाहुक नवम श्लोक हिंदी रूपांतरित

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     श्री हनुमान बाहुक हिंदी रूपांतरित दवन-दुव न-दल  भुवन-विदित  बल, बेद जस गावत बिबुध बंदीछोर को। पाप-ताप-तिमिर  तुहिन-विघटन-पटु, सेवक-सरोरुह  सुखद  भानु  भोरको।। लोक-परलोकतें बिसोक सपने न सोक, तुलसी के हिये है भरोसो एक ओरको। रामको दुलारो दास बामदेवको निवास, नाम कलि-कामतरु केसरी -किसोरको।। So sorry neta ji कारनामे अभी देखे अर्थात Top cricket दानवो के दल का दमन करने वाले श्री हनुमानजी के बल को सारा संसार जनता है । बेद (शास्त्र) बताते है कि देवताओ तक को बंधन मुक्त कराने वाला,पाप रूपी अंधकार और कष्ट रूपी पाले को घटाने वाला भक्त रूपी कमलो को प्रातः काल का सूर्य बन खिलाने वाला श्री हनुमानजी जैसा दूसरा कौन है? गोस्वामी तुलसीदास जी को उन्ही का भरोसा है । लोम परलोक के सुख-दुख की चिंता । श्री राम के सबसे प्रिय सेवक ,शिव को अपने ह्रदय में बसाने वाले केसरी नंदन का नाम कलिकाल में कल्प वृक्ष के समान है                जय श्री राम

श्री हनुमान बाहुक हिंदी रूपांतरण आठवा श्लोक

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हनुमान बाहुक हिंदी रूपरन्तरित दूत रामरायको , सपूत पूत पौनको, तू अंजनीको नंदन प्रताप भूरि भानु सो। सीय-सोच-समन,     दुरित-दोष-दमन सरन आये अवन, लखन प्रिय प्रान सो।। दसमुख दुसह दरिद्र दरिबेको भयो, प्रकट तिलोक ओक तुलसी निधान सो। ज्ञान -गुणवान बलवान सेवा सावधान, साहेब सुजान उर आनु हनुमान सो।। व्हाट्सएप हिंदी कॉमेडी अर्थात हे हनुमान आप श्री राम चन्द्र जी के दूत ,पवनदेव के पुत्र और अंजनी के नंदन है आपका प्रताप अनंत सूर्य जैसा तेजस्वी है । यह सीता जी की चिंता को मिटाने वाला सेवको के दोषों को तत्काल समाप्त ,शरणागत का रक्षक और लक्ष्मण जी के लिए प्राणों से प्रिय है ।। यही प्रताप असहाय दरिद्रता रूपी रावण को दबाने वाला और तीनों लोकों में तुलसी का आश्रय है । घोर कलयुग क्या इसे ही कहते है यह ज्ञानवान, गुणवान, बलवान, परहित हेतु सावधान रहते हुए , सबकी सुधि रखने वाले स्वामी के समान है 

श्री हनुमान बाहुक सातवा श्लोक हिंदी में

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हनुमान बाहुक पूर्व सभी श्लोक हिंदी रूपांतर ण भगवान श्री राम का जीवन परिचय संक्षेप में  कमठकी पीठी जाके गोड़निकी गांडै मानो, नापके भाजन   भरि जालनिधि - जल भो। जातुधान  -  दावन   परावनको दुर्ग।  भयो, महामीनबास   तिमि तोमनिको    थल भो। कुम्भकर्ण - रावण - पयोदनाद   - ईधनको, तुलसी    प्रताप  जाको  प्रबल  अनल  भो। भीषम    कहत  मेरे    अनुमान     हनुमान  सरिखो   त्रिकाल   न  त्रिलोक महाबल भो।। अर्थात क्या आपने देखा है कभी ऐसा अद्भुत चमत्कार अभी देखे ये वीडियो श्री हनुमान जी ने पैर जमाकर कच्छप की पीठ  पर गड्ढा बना दिया (असंभव को संभव कर दिया )  यह गड्ढा मानो समुद्र का जल नापने का पात्र हो यही  गड्ढा राक्षसों और दानवों के पराभव के लिए दुर्ग ,  बड़े - बड़े मक्षो के रहने हित अंधेरा स्थल बन गया  कुम्भकर्ण, रावण और मेघनाद रूपी ईंधन को जलाने  के लिए श्री हनुमान जी का प्रताप अग्नि बना ।। श्री भीष्म पितामह कहते है उनकी दृष्टि में हनुमानजी  जैसा बलशाली,तीनो लोको और तीनों कालो में कोई  नही हुआ ।।                      जय जय श्री राम

श्री हनुमान बाहुक छठवां श्लोक हिंदी में

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गोपद पयोधि करि होलिका ज्यों लाई लंक, निपट निसंक परपुर गलबल भो। द्रोन सो पहार लियो ख्याल ही उखारि कर, कंदुक ज्यो कपिखेल बेल कैसो फल भो।। संकट समाज असमंजस भो रामराज, काज जुग-पुगनिको करतल पल भो। साहसी समत्थ तुलसीको नाह जाकी बाँह, लोकपाल पालन को फिर थिल थल भो।। हनुमान बाहुक पूर्व श्लोक अर्थात सागर को, गऊ के कहर से बना, गड्ढा समझा और बिना किसी डर के लंका को जला दूसरे के नगर में खलभली मचा दी । द्रौणागिरी जैसा पहाड़ देखते -देखते उखाड़ लिया । ऐसा लगा मानो बेल का फल हो, जिसे वानर समूह गेंद संमझ कर खेल रहे हो । राम राज्य (रामादल)पर आए संकट को घड़ी में , जब सारा समाज असमंजस में डूबा था , हनुमान जी ने युगों तक पूरा न हो सकने वाला काम चुटकी बजाते ही पूरा किया (लक्षमण शक्ति का प्रसंग )। तुलसीदास जी कहते है इस प्रकार समस्त लोकपालो के पुनः परिपालन के लिए हनुमानजी की भुजायें स्थिर स्थान बनाने में सफल हुई

श्री हनुमान बाहुक पंचम श्लोक हिंदी में

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        पढ़े पूर्व सभी श्लोक श्री हनुमान बाहुक हिंदी अनुवाद सहित भारत मे पारथके रथकेतु कपिराज, गाज्यो सुनी कुरुराज दल हलबल भो। कह्यो द्रोन भीषम समीरसुत महाबीर, बिर-रस-बारि-निधि जाको बल जल भो। बानर सुभाय बालकेलि भूमि भानु लागि, फलंग फलाँगहुंते घाटि नभतल भो। नाई-नाई माथ जोरि-जोरि हाँथ जोधा जोहैं, हनुमान देखे जगजीवन को फल भो।। दुनिया की सबसे बड़ी आरती  अर्थात व्हाट्सएप लेख महाभारत के युद्ध के समय, अर्जुन के रथ पर बैठे हनुमान जी की गर्जना सुन कौरवों की सेना घबरा गई। भीष्म और द्रोणाचार्य ने कहा कि यह गर्जना पवनसुत हनुमान की है , जिनका बल ,बीर रस का समुद्र बन गया है । वनरोचित स्वभाव से बच्चों का सा खेल संमझ धरती से सूर्य तक कि ऊंचाई को फलांग , आकाश मण्डल को,अपने एक पग से भी छोटा बना दिया।शीश झुकाकर बड़े बड़े योद्धा इस रूप को देखते है और मानते है कि उनका जग जीवन सफल हो गया  ।।

श्री हनुमान बाहुक चतुर्थ श्लोक हिंदी में

   हनुमान बाहुक पूर्व सभी श्लोक पढ़े हिंदी ने                 ।।घनाक्षरी।। भानुसों पढन हनुमान गए भानु मन , अनुमानि सिसुकेलि कियो फेरफार सो। पछिले पगनि गम गगन मगन-मन, क्रमको न भ्रम, कपि बालक-बिहार सो।। कौतक बिलोकि लोकपाल हरि हर बिधि, लोचननि चकाचौंधी चित्तनी खभार सो। बल कैधौं बीररस,धीरज कै, साहस कै, तुलसी सरीर धरे सबनिको सार सो।। नारको का विस्तार जाने हिंदी में अर्थात मृत्यु क्या है और मरने के बाद क्या क्या होता है श्री हनुमानजी सूर्य से शिक्षा ग्रहण करने गए । अउरी ने सोचा हनुमान जी लड़कपन कर रहे है ।(सूर्य वस्तुतः सदा गतिमान हैं अपना जवाब जरूर दे कि ऐसे नेता को भारत से निष्कासित करना चाहिए कि नही और शिक्षा के लिए तो शिष्य को गुरु के सम्मुख रहना पड़ता है )परंतु श्री हनुमानजी सूर्य की ओर ही अपना मुख कर सूर्य के ही मार्ग पर पीठ की ओर (उल्टे पैर)चलते रहे मानो यह बच्चों का खेल हो इस प्रकार शिक्षा का क्रम नही बदला ।  अब बनेगा गायो का आधार देखे यह वीडियो यह आश्चर्यजनक खेल देख कर लोकपाल ब्रह्म ,बिष्णु और शिव की आंखे चौंधिया गयी और उनके चित्त में खलभली मच गई थी। तुलसी

श्री हनुमान बाहुक तृतीय श्लोक हिंदी में

श्री हनुमान बाहुक प्रथम श्लोक हिंदी में  श्री हनुमान बाहुक द्वितीय श्लोक हिंदी में                  ।।झूलना।। पंच मुख -छः मुख -भृगुमुख्य भट-असुर -सुर, सर्व -  सरि -  समर    समरत्थ   सुरों। बांकुरों बीर बिरुदैत बिरुदावली, बेद   बंदी   बदत।  पैजपुरो।। जासु गुनगाथ रघुनाथ कह, जासु बल , बिपुल-जल-भरति जग-जलधि झूरो। दुवन-दल-दमन को कौन तुलसीदास है, पवन को पूत राजपूत रुरो।। श्री हनुमान चालीसा अर्थात अच्छे विचार जिनसे आपका जीवन बदल सकता है पंचमुखी शंकर,छः मुख वाले स्वामी कार्तिकेय और युद्धकला में प्रमुख परशुराम जैसे सुभटो व अन्य देवताओं अथवा राक्षसों के मुकाबले में भी युद्ध रूपी नदी को सहज पर होने वाले योग्य वीर है श्री हनुमानजी । वेद जिनकी वंदना करते हुए कहते है कि वे अपनी आन निभाने वाले यशस्वी वीर है । श्री रघुनाथ जी स्वयं उनकी गुणगाथा कहते है । जिनके अपार पराक्रम के कारण दुःख रूपी जल से भरा संसार सागर सूख जाता है । तुलसीदास जी कहते है के उनके स्वामी के अतिरिक्त राक्षसों का नाश करने। वाला अन्य कोई राजपूत नही है 

श्री हनुमान बाहुक द्वितीय श्लोक हिंदी में

स्वर्ण-शैल-संकास कोटि- रवि-तरुन-तेज-घन। उर विशाल, भुजदंड चंड नख बज्र बजरतन।। पिंग नयन,भृकुटि कराल रसना दसानन। कपिस केश,करकस लंगूर ,खल-दल बल भानन।। कह तुलसीदास बस जासु उर       मारुत सुत मूरत विकट। संताप पाप तेहि पुरुष पाहि          सपनेहु नही आवत निकट ।। श्री बाला जी की आरती अर्थात नरक क्या है           श्री हनुमानजी की देह सोने के पहाड़ (सुमेर पर्वत)के समान है । करोड़ों तरुण (माध्यान्ह के) सूर्य की तरह तेजवान , विशाल वक्षस्थल , सशक्त भुजधारी, बज्र जैसे कठोर नख वाले और वज्र जैसे विशाल देह वाले है श्री हनुमानजी। क्या होता है मृत्यु के बाद जाने केवल एक क्लिक में नेत्रों में पीलाप,विकराल भौहे,जीभ,दांत,मुंह सभी कठोर,भूरे रंग की रोमावली, कठोर पूंछ जो दुष्टों के बल को भंजित करने वाली है । श्री तुलसीदास जी कहते है कि जिनके मन में हनुमानजी की यह विकराल मूर्ति बसती है , उनके पास सपने में दुख नही आता            जय जय श्री राम हनुमान बहुके प्रथम श्लोक

नरक क्या है और कितने है

गरुण पुराण में नरक के बारे में और उनकी संख्या के बारे में दिखाया गया है 1.तामिस्त्र, 2.अंधसिस्त्र, 3.रौवर, 4, महारौवर, 5.कुम्भीपाक, 6.कालसूत्र, 7.आसिपंवन, 8.सकूरमुख, 9.अंधकूप, 10.मिभोजन, 11.संदेश, 12.तप्तसूर्मि, 13.वज्रकंटकशल्मली, 14.वैतरणी, 15.पुयोद, 16.प्राणारोध, 17.विशसन, 18.लालभक्ष, 19.सारमेयादन, 20.अवीचि, और 21.अय:पान, इसके अलावा…. 22.क्षरकर्दम, 23.रक्षोगणभोजन, 24.शूलप्रोत, 25.दंदशूक, 26.अवनिरोधन, 27.पर्यावर्तन और 28.सूचीमुख  ये सात (22 से 28) मिलाकर कुल 28 तरह के नरक माने गए हैं जो सभी धरती पर ही बताए जाते हैं। इनके अलावा वायु पुराण और विष्णु पुराण में भी कई नरककुंडों के नाम लिखे हैं- वसाकुंड, तप्तकुंड, सर्पकुंड और चक्रकुंड आदि। इन नरककुंडों की संख्या 86 है। इनमें से सात नरक पृथ्वी के नीचे हैं और बाकी लोक के परे माने गए हैं। उनके नाम हैं- रौरव, शीतस्तप, कालसूत्र, अप्रतिष्ठ, अवीचि, लोकपृष्ठ और अविधेय हैं। यह भी जाने

श्री हनुमान बाहुक प्रथम श्लोक हिंदी में

               ।।छप्पय।। सिंधु-तरन-सिय-सोच-हरन,रवि-बालवरन-तनु।  भुज विशाल,मूरति कराल कालहुको काल जनु।।  गहन-दहन-निरदहन-लंक निः संक, बंक-भुव।    जातुधान-बलवान-मान-मद-दवन पवंसुव।। कह तुलसीदास सेवत सुलभ,           सेव हिट संतत निकट। गुनगनत,नमत, सुमिरत,जपत,       समन सकल-संकट-बिकट।। बाला जी के दर्शन को जाने से पहले बरतनी चहिये ये सावधानियां अर्थात          समुन्द्र को लांघकर सीता जी के शोक का निवारण करने वाले प्रातःकाल सूर्य की सी आभा देने वाले विशाल भुजधारी,काल के लिए भी काल के समान , बिना संकोच  पाप कर्म करने से नरक में दी जाती है ये यातनाये गरुण पुराण के ,केवल अपनी भौंह को टेढ़ी कर, नही जलाई जा सकने वाली लंका को जलाने वाले ,राक्षसों  के मान अभिमान का नाश करने वाले है , पवन पुत्र श्री हनुमानजी।। श्री तुलसीदास जी के अनुसार हनुमानजी की सेवा सहज है और वे सेवको के कल्याण के लिए सदा निकट ही रहते है ।। हनुमानजी गुणगान करने वाले ,नमन करने वाले , स्मरण करने वाले , जप करने वाले सेवको के बड़े से बड़े कष्टो का निवारण करते है  श्री हनुमान बाहुक द्वितीय श्लोक क्या होता है मृत्य

बाला जी के दर्शन से पहले आपको क्या करना चाहिए

जय श्री बाला जी मित्रो  आज मैं आपको बालाजी महाराज के दर्शन के नियमों के बारे में बताऊंगा  मित्रो जब आप बाला जी महाराज के दर्शन के लिये जाने का विचार करो तो आप  जाने के पहले अगर आप कर सको तो 11 दिन पहले से ही लहसुन और प्याज का त्याग कर देना चाहिए  अगर आप 11 दी पहले से त्याग नही कर सकते तो 1 दिन पहले तो जरूर त्याग देना चाहिए बाला जी की आरती   और अगर केवल दर्शन के लिए जा रहे है तो आपको एक कच्चा नारियल और 750 ग्राम चावल जो कि हल्दी से पीले रंग में कलर किया गया हो उसको आप लाल कपड़े में रख कर उसे घर के सभी कमरे में थोड़ा थोड़ा डाल कर अंत मे घर  के चारो ओर डाल कर बिना पीछे देखे गए को चले जाना चाहिए जिससे आपके घर मे जो भी बाधा होगी तो अपने आप चली जाए गई आपको केवल चावल डालते समय यह बोलना है कि (जो कोई भी है सब लोग चलो श्री बालाजी महराज के दर्शन करने ) अगर आपके साथ कोई बीमार है तक आपको वही लाल रंग में रखे नारियल और चावल को बीमार ब्यक्ति के चाहे वो आदमी हो या औरत के सर के चारो तरफ 7 बार घुमा देना चाहिए और अंत मे उसके मस्तक से स्पर्श करा देना चाहिए  मृत्यु के बाद मानव के साथ होने वाली यातनाएं

जाने मृत्यु के बाद क्या होता है

गरुण पुराण में मृत्यु के बाद का वर्णन   ‘ प्रेत कल्प ‘  में कहा गया है कि नरक में जाने के पश्चात प्राणी प्रेत बनकर अपने परिजनों और सम्बन्धियों को अनेकानेक कष्टों से प्रताड़ित करता रहता है। वह परायी स्त्री और पराये धन पर दृष्टि गड़ाए व्यक्ति को भारी कष्ट पहुंचाता है। नरक और उसकी यातना जो व्यक्ति दूसरों की सम्पत्ति हड़प कर जाता है, मित्र से द्रोह करता है, विश्वासघात करता है, ब्राह्मण अथवा मन्दिर की सम्पत्ति का हरण करता है, स्त्रियों और बच्चों का संग्रहीत धन छीन लेता है, परायी स्त्री से व्यभिचार करता है, निर्बल को सताता है, ईश्वर में विश्वास नहीं करता, कन्या का विक्रय करता है; माता, बहन, पुत्री, पुत्र, स्त्री, पुत्रबधु आदि के निर्दोष होने पर भी उनका त्याग कर देता है, ऐसा व्यक्ति प्रेत योनि में अवश्य जाता है। उसे अनेकानेक नारकीय कष्ट भोगना पड़ता है। उसकी कभी मुक्ति नहीं होती। ऐसे व्यक्ति को जीते-जी अनेक रोग और कष्ट घेर लेते हैं। व्यापार में हानि, गर्भनाश, गृह कलह, ज्वर, कृषि की हानि, सन्तान मृत्यु आदि से वह दुखी होता रहता है अकाल मृत्यु उसी व्यक्ति की होती है, जो धर्म का आचारण और

गरुण पुराण के अनुसार नरक और उसकी यातनाये

गरुड़ पुराणानुसार नर्क और उसकी यातनाएं  ‘गरुड़ पुराण’ के दूसरे अध्याय में यह वर्णन मिलता है, इसके अनुसार- गरुड़ ने कहा- हे केशव! यमलोक का मार्ग किस प्रकार दुखदायी होता है। पापी लोग वहाँ किस प्रकार जाते हैं, मुझे बताइये। भगवान बोले- हे गरुड़! महान दुख प्रदान करने वाले यममार्ग के विषय में मैं तुमसे कहता हूँ, मेरा भक्त होने पर भी तुम उसे सुनकर काँप उठोगे। यममार्ग में वृक्ष की छाया नहीं है, अन्न आदि भी नहीं है, वहाँ कहीं जल भी नहीं है, वहाँ प्रलय काल की भांति बारह सूर्य तपते हैं। उस मार्ग से जाता हुआ पापी कभी बर्फीली हवा से पीडि़त होता है तो कभी कांटे चुभते हैं। कभी महाविषधर सर्पों द्वारा डसा जाता है, कहीं अग्नि से जलाया जाता है, कहीं सिंहों, व्याघ्रों और भयंकर कुत्तों द्वारा खाया जाता है, कहीं बिच्छुओं द्वारा डसा जाता है। इसके बाद वह भयंकर  ‘असिपत्रवन’  नामक नरक में पहुँचता है, जो दो हज़ार योजन के विस्तार वाला है। यह वन कौओं, उल्लुओं, गीधों, सरघों तथा डॉंसों से व्याप्त है। उसमें चारों ओर दावाग्नी है। वह जीव कहीं अंधे कुएं में गिरता है, कहीं पर्वत से गिरता है, कहीं छुरे की धार पर चलता

भरोसा किस पर करे हिंदी कहानी

एक गुरु और उनके सभी शिष्य एक आश्रम में रहते थे। इस वर्ष सभी शिष्यों की शिक्षा पूरी हो चुकी थी और उनका आश्रम में आखरी दिन था। जब सारे शिष्य एक जगह इकट्ठा हो गए तब आश्रम की परंपरा के अनुसार, गुरुजी अपने शिष्यों को आखरी उपदेश और सीख देने आए।  Funny videos

नारद मुनि तुम किसके भाग्य का खाते हो hindi story

एक आदमी ने नारदमुनि से पूछा मेरे भाग्य में कितना धन है. नारदमुनि ने कहा – भगवान विष्णु से पूछकर कल बताऊंगा नारदमुनि ने कहा- 1 रुपया रोज तुम्हारे भाग्य में है. आदमी बहुत खुश रहने लगा, उसकी जरूरते 1 रूपये में पूरी हो जाती थी. एक दिन उसके मित्र ने कहा में तुम्हारे सादगी जीवन और खुश देखकर बहुत प्रभावित हुआ हूं और अपनी बहन की शादी तुमसे करना चाहता हूँ. आदमी ने कहा मेरी कमाई 1 रुपया रोज की है इसको ध्यान में रखना। इसी में से ही गुजर बसर करना पड़ेगा तुम्हारी बहन को. मित्र ने कहा कोई बात नहीं मुझे रिश्ता मंजूर है। अगले दिन से उस आदमी की कमाई 11 रुपया हो गई। उसने नारदमुनि को बुलाया की हे मुनिवर मेरे भाग्य में 1 रूपया लिखा है फिर 11 रुपये क्यो मिल रहे है? नारदमुनि ने कहा – तुम्हारा किसी से रिश्ता या सगाई हुई है क्या? हाँ हुई है तो यह तुमको 10 रुपये उसके भाग्य के मिल रहे है। इसको जोड़ना शुरू करो तुम्हारे विवाह में काम आएंगे। एक दिन उसकी पत्नी गर्भवती हुई और उसकी कमाई 31 रूपये होने लगी। फिर उसने नारदमुनि को बुलाया और कहा है मुनिवर मेरी और मेरी पत्नी के भाग्य के 11 रूपय