श्री हनुमान बाहुक सत्तारहवाँ श्लोक हिंदी रूपांतरित
प्राणदायी हनुमान बाहुक हिंदी में श्री हनुमान चालीसा तेरे थपे उथपै न महेस, थपै थिरको कपि जे घर घाले। तेरे निवाजे गरीबनिवाज, बिराजत बैरिनके उर साले।। संकट सोच सबै तुलसी लिए, नाम फटै मकरीके - से जले । बूढ़ भये ,बलि , मेरिहि बार, कि हारि परे बहुतै नत पाले।। अर्थात हे हनुमानजी ! जिसे आप बसा दे, उसे शंकर भी नही उजाड़ते है । हाँ जिस घर को आप नष्ट करें उसे कौन बसा सकता है ? हे दीन रक्षक ! जिस पर आप प्रसन्न हो , वे शत्रुओं के हृदय में पीड़ा बन बिराजते है । तुलसीदास जी कहते है , आपका नाम लेने से सभी संकट मकड़ी के जाले के समान हट जाते है ।है बल निधान हनुमान जी ! मेरी ही बार आप बूढ़े हो गए अथवा बहुत - से गरीबों का पालन करते करते थक गए ? मेरा भी संकट दूर करें श्री बालाजी महाराज की आरती