श्री हनुमान बाहुक ग्यारहवाँ श्लोक हिंदी रूपांतरित

रचिबेको  बिधि जैसे , पालिबेको हरि, हर
मीच मारिबेको , ज्याइबेको सुधापान भो।
धरिबेको  धरनि , तरनि   तम    दलिबेको, 
सोखिबे कृसानु ,पोषिबेको हिम-भानु भो।।
खल-दुःख - दोषिबेको , जन परितोषिबेको,
माँगिबो   मलीनताको   मोदक  सुदान भो।
आरत  की  आरती  निवारिबेको  तिहुँ  पुर,
तुलसी  को  साहेब  हठीले  हनुमान  भो ।।


अर्थात 
So sorry neta ji श्री हनुमान जी सृष्टिकर्ता ब्रह्मा , पालनकर्ता बिष्णु , संहारकर्ता  शिव के समतुल्य है ।  वे जीवन दान हेतु अमृत है ।  भर ढोने बके लिए भूमि ,अंधेरे के लिए सूर्य , सुखाने के लिए अग्निताप , पोषण के लिए चंद्रमा  और सूर्य हैं।  दुष्टो को दुःख दे दूषित करने वाले , स्वजनों को परितुष्ट करने वाले है ।। दीन मलीन भिखारी को मोदक देने वाले दानी है । हठीले हनुमान जी तीनो लोको के दुखियो के दुःख हारने वाले है 
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