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Showing posts from July, 2018

श्री हनुमान बाहुक सत्तारहवाँ श्लोक हिंदी रूपांतरित

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प्राणदायी हनुमान बाहुक हिंदी में श्री हनुमान चालीसा तेरे थपे उथपै न महेस,     थपै थिरको कपि जे घर घाले। तेरे निवाजे गरीबनिवाज,     बिराजत बैरिनके उर साले।। संकट सोच सबै तुलसी लिए,     नाम फटै मकरीके - से जले । बूढ़ भये ,बलि , मेरिहि बार,     कि हारि परे बहुतै नत पाले।। अर्थात हे हनुमानजी ! जिसे आप बसा दे, उसे शंकर भी नही उजाड़ते है । हाँ जिस घर को आप नष्ट करें उसे कौन बसा सकता है ? हे दीन रक्षक ! जिस पर आप प्रसन्न हो , वे शत्रुओं के हृदय में पीड़ा बन बिराजते है । तुलसीदास जी कहते है , आपका नाम लेने से सभी संकट मकड़ी के जाले के समान हट जाते है ।है बल निधान हनुमान जी ! मेरी ही बार आप बूढ़े हो गए अथवा बहुत - से गरीबों का पालन करते करते थक गए ? मेरा भी संकट दूर करें  श्री बालाजी महाराज की आरती                

श्री हनुमान बाहुक सोलहवाँ श्लोक

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श्री हनुमान बाहुक हिंदी रूपांतरित गरुण पुराण लोकप्रिय हिन्दू तथ्य श्री हनुमान चालीसा जानसिरोमनी   हौ     हनुमान        सदा, जनके मन बास तिहारो। ढारो बिगारो मैं काको कहा ,     केहि कारन खीझत हौं तो तिहारो।। साहेब सेवक नाते ते हातो,      कियो सो तहाँ तुलसी को ना चारो। दोष सुनाये तें अगेहुँ  को , होशियार ह्वै हों मन तौ हिय हारो  अर्थात

श्री हनुमान बाहुक पंद्रहवाँ श्लोक

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श्री हनुमान बाहुक चौदहवाँ श्लोक हिंदी में जीवन प्रदाता हनुमान बाहुक पढे हिंदी में  श्री हनुमान चालीसा मन को अगम , तन सुगम किये कपीस, काज महराज के समाज साज साजे है । देव -बंदीछोर    रनरोर  केसरी  किसोर, जुग - जुग जग  तेरे   बिरद  बिराजे हैं।। बीर बरजोर , घटि जोर तुलसी की ओर, सुनि सकुचाने साधु , खलगन गाजे हैं। बिगरी संवार अंजनीकुमार कीजै मोहिं, जैसे होत आये हनुमान के निवाज़े  हैं।। सो सॉरी राजीनीतिक कॉमेडी अर्थात गठबंधन एक्सप्रेस श्री हनुमानजी आपने महराज श्री राम चन्द्र के काम के लिए अपने मन को विशाल और तन को सुलभ किया और उसके लिए सज गए । केसरी नंदन ने देवताओं को बंधन मुक्त कराने के हेतु रण गर्जना की । युगों - युगों से यशोगान होता आया है उन अत्यंत शक्तिशाली वीर का लगता है तुलसी की ओर कम ध्यान है । यह जान कर साधुगण सकुचा गए और दुष्ट गर्जना कर रहे है ।  है अंजनी कुमार तुलसी की बिगड़ी बात उसी तरह स्वंरिये जैसे उनकी संवरती है जिन पर आपकी विशेष कृपा होती है । श्री हनुमान बाहुक चौदहवाँ श्लोक हिंदी में