Posts

श्री हनुमान बाहुक सत्तारहवाँ श्लोक हिंदी रूपांतरित

Image
प्राणदायी हनुमान बाहुक हिंदी में श्री हनुमान चालीसा तेरे थपे उथपै न महेस,     थपै थिरको कपि जे घर घाले। तेरे निवाजे गरीबनिवाज,     बिराजत बैरिनके उर साले।। संकट सोच सबै तुलसी लिए,     नाम फटै मकरीके - से जले । बूढ़ भये ,बलि , मेरिहि बार,     कि हारि परे बहुतै नत पाले।। अर्थात हे हनुमानजी ! जिसे आप बसा दे, उसे शंकर भी नही उजाड़ते है । हाँ जिस घर को आप नष्ट करें उसे कौन बसा सकता है ? हे दीन रक्षक ! जिस पर आप प्रसन्न हो , वे शत्रुओं के हृदय में पीड़ा बन बिराजते है । तुलसीदास जी कहते है , आपका नाम लेने से सभी संकट मकड़ी के जाले के समान हट जाते है ।है बल निधान हनुमान जी ! मेरी ही बार आप बूढ़े हो गए अथवा बहुत - से गरीबों का पालन करते करते थक गए ? मेरा भी संकट दूर करें  श्री बालाजी महाराज की आरती                

श्री हनुमान बाहुक सोलहवाँ श्लोक

Image
श्री हनुमान बाहुक हिंदी रूपांतरित गरुण पुराण लोकप्रिय हिन्दू तथ्य श्री हनुमान चालीसा जानसिरोमनी   हौ     हनुमान        सदा, जनके मन बास तिहारो। ढारो बिगारो मैं काको कहा ,     केहि कारन खीझत हौं तो तिहारो।। साहेब सेवक नाते ते हातो,      कियो सो तहाँ तुलसी को ना चारो। दोष सुनाये तें अगेहुँ  को , होशियार ह्वै हों मन तौ हिय हारो  अर्थात

श्री हनुमान बाहुक पंद्रहवाँ श्लोक

Image
श्री हनुमान बाहुक चौदहवाँ श्लोक हिंदी में जीवन प्रदाता हनुमान बाहुक पढे हिंदी में  श्री हनुमान चालीसा मन को अगम , तन सुगम किये कपीस, काज महराज के समाज साज साजे है । देव -बंदीछोर    रनरोर  केसरी  किसोर, जुग - जुग जग  तेरे   बिरद  बिराजे हैं।। बीर बरजोर , घटि जोर तुलसी की ओर, सुनि सकुचाने साधु , खलगन गाजे हैं। बिगरी संवार अंजनीकुमार कीजै मोहिं, जैसे होत आये हनुमान के निवाज़े  हैं।। सो सॉरी राजीनीतिक कॉमेडी अर्थात गठबंधन एक्सप्रेस श्री हनुमानजी आपने महराज श्री राम चन्द्र के काम के लिए अपने मन को विशाल और तन को सुलभ किया और उसके लिए सज गए । केसरी नंदन ने देवताओं को बंधन मुक्त कराने के हेतु रण गर्जना की । युगों - युगों से यशोगान होता आया है उन अत्यंत शक्तिशाली वीर का लगता है तुलसी की ओर कम ध्यान है । यह जान कर साधुगण सकुचा गए और दुष्ट गर्जना कर रहे है ।  है अंजनी कुमार तुलसी की बिगड़ी बात उसी तरह स्वंरिये जैसे उनकी संवरती है जिन पर आपकी विशेष कृपा होती है । श्री हनुमान बाहुक चौदहवाँ श्लोक हिंदी में

श्री हनुमान बाहुक चौदहवाँ श्लोक हिंदी रुपान्तरित

श्री हनुमान बाहुक श्लोक हिंदी रूपांतरित करुना निधान , बलबुद्धि के निधान , मोद महिमानिधान , गन - ज्ञान के निधन हौ। बामदेव - रूप , भूप राम के सनेही , नाम , लेत  - देत अर्थ - धर्म काम निरबान हौ ।। आपने प्रभाव, सीतानाथ के सुभाव सील,  लोक - बेद - बिधि के बिदुष   हनुमान हौ ,  मन कि, वचन की , करम की तिहुँ प्रकार, । तुलसी  तिहारो तुम साहेब सुजान  हौ।। अर्थात श्री हनुमान जिनाप करुणा के भंडार , बल-बुद्धि के धाम,आनंद और अमोद - प्रमोद के भंडार , गन और बुद्धि के निधि है । आप शिव के अंश , राम के कृपापात्र है । आपके नाम जप से अर्थ , धर्म, काम और मोक्ष मिलता है । श्री सीतानाथ के स्वभाव एवं शील के परिणाम स्वरूप श्री हनुमानजी आप लौकिक नीति -रीति के साथ बैदिक बिधान के भी विज्ञ ज्ञाता हैं। ऐसे सुविज्ञ हनुमान जी का  तुलसीदास जी  मन, वचन, कर्म से सेवक है ।।

श्री हनुमान बाहुक तेरहवां श्लोक हिंदी रूपांतरित

Image
श्री हनुमान बाहुक हिंदी रूपांतरित सानुग  सगौरि   सानुकूल  सूलपानि  ताहि,  लोकपाल  सकल लखन     राम  जानकी। लोक परलोक ते बिसोक सो तिलोक ताहि, तुलसी   तमाइ  कहा काहू   बीर आनकी।। केसरी किसोर   बंदीछोरको   नेवाजे सब , कीरति   बिमल    कपि  करुणानिधि की । बालकज्यों पालिहैं कृपालु मुनि सिद्ध ताको, जाके  हिये  हुलसित  हांक    हनुमान की।।

श्री हनुमान बाहुक बारहवाँ श्लोक हिंदी रूपांतरित

Image
श्री हनुमान बाहुक हिंदी रूपांतरण प्रत्येक श्लोक सेवक स्योकाई जानि जानकीस मानै कानि, सानुकूल सूलपानि नवै नाथ नाँकको । देवी देव दानव दयावने ह्वै जोरैं हाथ , बापुरे बराक कहा और राजा रांकको ।। जगत सोवत बैठे बागत बिनोद मोद, ताकै जो अनर्थ सो समर्थ एक आँकको सब दिन रुरो परै पुरो जहाँ - तहाँ ताहि ,  जाको है भरोसो हिये हनुमान हाँकको ।। भगवान श्री कृष्णा का प्यार देख कर खुद को रोने से रोक नही पाओगे आप अर्थात जिनकी सेवा का महत्व जानकीनाथ श्री राम ने अनुग्रह स्वीकारा और भगवान शंकर जिन पर सदा कृपालु रहते है , देवी देवता ही नही दानव भी दीन बने हाथ जोड़ते है ऐसे हनुमान जी के लिए बेचारा इन्द्र अथवा अन्य राजा क्या महत्व रखते है । ऐसे हनुमानजी के सेवक  सोते - जागते ,  उठते -बैठते , अमोद - प्रमोद करते , कोई कुछ कर सके ऐसा कभी भी नही हो सकता ।  जिसके ह्रदय में श्री हनुमानजी का भरोसा है , उसके लिए सब समय , जहाँ - कहीं भी कार्य सिद्धि निश्चित है               जय श्री राम  यह भी जाने बेस्ट व्हाट्सएप लेख कट्टर हिन्दू हनुमान चालीसा

श्री हनुमान बाहुक ग्यारहवाँ श्लोक हिंदी रूपांतरित

रचिबेको  बिधि जैसे , पालिबेको हरि, हर मीच मारिबेको , ज्याइबेको सुधापान भो। धरिबेको  धरनि , तरनि   तम    दलिबेको,  सोखिबे कृसानु ,पोषिबेको हिम-भानु भो।। खल-दुःख - दोषिबेको , जन परितोषिबेको, माँगिबो   मलीनताको   मोदक  सुदान भो। आरत  की  आरती  निवारिबेको  तिहुँ  पुर, तुलसी  को  साहेब  हठीले  हनुमान  भो ।। अर्थात   So sorry neta ji श्री हनुमान जी सृष्टिकर्ता ब्रह्मा , पालनकर्ता बिष्णु , संहारकर्ता  शिव के समतुल्य है ।  वे जीवन दान हेतु अमृत है ।  भर ढोने बके लिए भूमि ,अंधेरे के लिए सूर्य , सुखाने के लिए अग्निताप , पोषण के लिए चंद्रमा  और सूर्य हैं।  दुष्टो को दुःख दे दूषित करने वाले , स्वजनों को परितुष्ट करने वाले है ।। दीन मलीन भिखारी को मोदक देने वाले दानी है । हठीले हनुमान जी तीनो लोको के दुखियो के दुःख हारने वाले है  व्हाट्सएप्प लेख गुड़ नाइट वालपेपर गुड़ मोर्निंग वालपेपर