श्री हनुमान बाहुक पंचम श्लोक हिंदी में

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भारत मे पारथके रथकेतु कपिराज,
गाज्यो सुनी कुरुराज दल हलबल भो।
कह्यो द्रोन भीषम समीरसुत महाबीर,
बिर-रस-बारि-निधि जाको बल जल भो।
बानर सुभाय बालकेलि भूमि भानु लागि,
फलंग फलाँगहुंते घाटि नभतल भो।
नाई-नाई माथ जोरि-जोरि हाँथ जोधा जोहैं,
हनुमान देखे जगजीवन को फल भो।।

दुनिया की सबसे बड़ी आरती 
अर्थात

व्हाट्सएप लेख
महाभारत के युद्ध के समय, अर्जुन के रथ पर बैठे हनुमान जी की गर्जना सुन कौरवों की सेना घबरा गई। भीष्म और द्रोणाचार्य ने कहा कि यह गर्जना पवनसुत हनुमान की है , जिनका बल ,बीर रस का समुद्र बन गया है ।
वनरोचित स्वभाव से बच्चों का सा खेल संमझ धरती से सूर्य तक कि ऊंचाई को फलांग , आकाश मण्डल को,अपने एक पग से भी छोटा बना दिया।शीश झुकाकर बड़े बड़े योद्धा इस रूप को देखते है और मानते है कि उनका जग जीवन सफल हो गया  ।।

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