श्री हनुमान बाहुक सोलहवाँ श्लोक

श्री हनुमान बाहुक हिंदी रूपांतरित
गरुण पुराण
लोकप्रिय हिन्दू तथ्य
श्री हनुमान चालीसा

जानसिरोमनी   हौ     हनुमान
       सदा, जनके मन बास तिहारो।
ढारो बिगारो मैं काको कहा ,
    केहि कारन खीझत हौं तो तिहारो।।
साहेब सेवक नाते ते हातो,
     कियो सो तहाँ तुलसी को ना चारो।
दोष सुनाये तें अगेहुँ  को ,
होशियार ह्वै हों मन तौ हिय हारो 

अर्थात


है हनुमानजी !आप ज्ञान शिरोमणि है । आप अपने सेवको के हृदय में सदा वास करते है । तुलसी कहते है है प्रभु ! मैंने क्या बिगाड़ा है । मैं तो आपका हूँ मुझसे क्या नाराजगी है । हमारे स्वामी सेवक संबंध अप्रभावी होने लगे तो इसमें मेरा क्या बस । मेरी प्रार्थना है मेरी गलती बता दें । मैं मन का हारा , आगे के लिए सावधान हो जाऊं ।
        स्वच्छ भारत अभिया
जय जय श्री राम

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