श्री हनुमान बाहुक पंद्रहवाँ श्लोक
श्री हनुमान बाहुक चौदहवाँ श्लोक हिंदी में
जीवन प्रदाता हनुमान बाहुक पढे हिंदी में
श्री हनुमान चालीसा मन को अगम , तन सुगम किये कपीस,
काज महराज के समाज साज साजे है ।
देव -बंदीछोर रनरोर केसरी किसोर,
जुग - जुग जग तेरे बिरद बिराजे हैं।।
बीर बरजोर , घटि जोर तुलसी की ओर,
सुनि सकुचाने साधु , खलगन गाजे हैं।
बिगरी संवार अंजनीकुमार कीजै मोहिं,
जैसे होत आये हनुमान के निवाज़े हैं।।
सो सॉरी राजीनीतिक कॉमेडी अर्थात
गठबंधन एक्सप्रेस
श्री हनुमानजी आपने महराज श्री राम चन्द्र के काम के लिए अपने मन को विशाल और तन को सुलभ किया और उसके लिए सज गए । केसरी नंदन ने देवताओं को बंधन मुक्त कराने के हेतु रण गर्जना की । युगों - युगों से यशोगान होता आया है उन अत्यंत शक्तिशाली वीर का लगता है तुलसी की ओर कम ध्यान है । यह जान कर साधुगण सकुचा गए और दुष्ट गर्जना कर रहे है । है अंजनी कुमार तुलसी की बिगड़ी बात उसी तरह स्वंरिये जैसे उनकी संवरती है जिन पर आपकी विशेष कृपा होती है ।श्री हनुमान बाहुक चौदहवाँ श्लोक हिंदी में
जीवन प्रदाता हनुमान बाहुक पढे हिंदी में
श्री हनुमान चालीसा मन को अगम , तन सुगम किये कपीस,
काज महराज के समाज साज साजे है ।
देव -बंदीछोर रनरोर केसरी किसोर,
जुग - जुग जग तेरे बिरद बिराजे हैं।।
बीर बरजोर , घटि जोर तुलसी की ओर,
सुनि सकुचाने साधु , खलगन गाजे हैं।
बिगरी संवार अंजनीकुमार कीजै मोहिं,
जैसे होत आये हनुमान के निवाज़े हैं।।
सो सॉरी राजीनीतिक कॉमेडी अर्थात
Comments