श्री हनुमान बाहुक बारहवाँ श्लोक हिंदी रूपांतरित

श्री हनुमान बाहुक हिंदी रूपांतरण प्रत्येक श्लोक

सेवक स्योकाई जानि जानकीस मानै कानि,
सानुकूल सूलपानि नवै नाथ नाँकको ।
देवी देव दानव दयावने ह्वै जोरैं हाथ ,
बापुरे बराक कहा और राजा रांकको ।।
जगत सोवत बैठे बागत बिनोद मोद,
ताकै जो अनर्थ सो समर्थ एक आँकको
सब दिन रुरो परै पुरो जहाँ - तहाँ ताहि , 
जाको है भरोसो हिये हनुमान हाँकको ।।
भगवान श्री कृष्णा का प्यार देख कर खुद को रोने से रोक नही पाओगे आप
अर्थात

जिनकी सेवा का महत्व जानकीनाथ श्री राम ने अनुग्रह स्वीकारा और भगवान शंकर जिन पर सदा कृपालु रहते है , देवी देवता ही नही दानव भी दीन बने हाथ जोड़ते है ऐसे हनुमान जी के लिए बेचारा इन्द्र अथवा अन्य राजा क्या महत्व रखते है । ऐसे हनुमानजी के सेवक  सोते - जागते ,  उठते -बैठते , अमोद - प्रमोद करते , कोई कुछ कर सके ऐसा कभी भी नही हो सकता ।  जिसके ह्रदय में श्री हनुमानजी का भरोसा है , उसके लिए सब समय , जहाँ - कहीं भी कार्य सिद्धि निश्चित है 
             जय श्री राम 
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